केरला में अभी तक तीन विद्यालय जाने वाले बच्चों की मौत हो चुकी है।बच्चों की मौत का कारण नेगलेरिया फुलेरी है जिसे सामान्य भाषा में brain eating amoeba (ब्रेन ईटिंग अमीबा)भी कहा जाता है। यह अमीबा नाक के रस्ते हमारे दिमाग में चला जाता है और ऐसा केमिकल निकालता है जो हमारे दिमाग में उपस्थित प्रोटीन को घुला देता है। केरला में पिछले तीन महीनों में brain eating amoeba के चार केस पाए गए हैं, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है और उनमें से एक का अस्पताल में ट्रीटमेंट चल रहा है। मरने वालों में एक 5 साल की बच्ची भी शामिल है जो कि मलप्पुरम गांव से थी , 21 मई को इस amoeba के कारण उसकी मृत्यु हो गई। बाकी दोनों की उम्र क्रमशः 13 और 14 वर्ष थी। Brain eating amoeba का सबसे पहला केस ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिला था।
क्या है ये brain eating amoeba ?
ये एक सिंगल सेल अमीबा है जिसका नाम नेगलेरिया फुलेरी है। यह पानी में पैदा होता है। गर्म वातावरण में पानी में पैदा होने वाला यह अमीबा अक्सर मीठे पानी की झील, नदी, स्विमिंग पूल, प्रदूषित पानी में पाया जाता है। यह अमीबा हमारे नाक से होते हुए हमारे दिमाग में पहुंच जाता है। हमारे दिमाग में पहुंच कर यह अमीबा एक केमिकल निकालता है जो हमारे दिमाग में इन्फेक्शन पैदा कर देता है। इसके द्वारा किए गए इन्फेक्शन को प्राइमरी अमोएबिक मेनिंगोएनसीफेलिटिस (PAM) कहते हैं।
यह इन्फेक्शन हमारे दिमाग में उपस्थित ब्रेन सेल्स को नष्ट कर देता है। इस इन्फेक्शन का असर हमारे दिमाग पर बहुत तेजी से फैलता है। यह एक रेयर लेकिन घातक इन्फेक्शन है।
इसके लक्षण क्या है?
इस इन्फेक्शन के बहुत ही सामान्य लक्षण है। जैसे कि बुखार आना, सर में दर्द होना, उल्टी आना, भूख में कमी आना, मुंह का स्वाद खराब हो जाना आदि इसके लक्षण है। इस इन्फेक्शन का प्रत्यक्ष उपचार अभी तक नहीं खोजा गया है क्योंकि इसके लक्षण सामान्य लक्षणों में से है।
इन्फेक्शन हो जाने के बाद क्या होता है?
इस इन्फेक्शन से पीड़ित व्यक्तियों में इसके लक्षण दिखने लगते है। सामान्यतः इन्फेक्शन के 10 से 12 दिन में व्यक्ति कोमा में चला जाता है और फिर मृत्यु हो जाती हो। जो चार केस केरला में मिले है उन सभी में इस इन्फेक्शन के कॉमन लक्षण मिले थे।
इसका उपचार क्या है?
सामान्य लक्षण होने के कारण साइंटिस्ट के लिए इसका प्रत्यक्ष उपचार पाना आसानी नहीं है। इस इन्फेक्शन को आसानी से डायग्नोस नहीं किया जा सकता। उपचार एंटीप्रोटोज़ोअल दवाओं से होता है।इसका फैलाव इतना तीव्र है कि इसके ऊपर रिसर्च करना मुश्किल हो जाता है।
कुछ उपाय हैं जिससे हम इस इन्फेक्शन की चपेट में आने से बच सकते हैं ।
1: मीठे पानी के झील, नदी, ठीक तरह से मैनेज ना किए जाने वाले स्विमिंग पूल में नहाने आदि से बचें।
2: इन जगहों पर नहाने से पहले नाक पर क्लिप लगाना न भूले ताकि इंजन दिमाग तक ना पहुंच पाए
3: स्विमिंग के बाद बच्चों के नाक गरम पानी से जरूर साफ करे।
दिए गए प्रीवेंटिव मेजर्स लेके हम इस amoeba के इन्फेक्शन में आने से बच सकते है।
निष्कर्ष
यह एक घातक और तेजी से फैलने वाला इन्फेक्शन है। लेकिन हम उचित कदम उठा कर इससे बच सकते है। अगर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखाई दे तो बिना किसी हिचकिचाहट के अपने नजदीकी अस्पताल में संपर्क करे।
जोखिमों को समझकर और उचित सावधानियां बरतकर, परिवार इस घातक अमीबा से मुठभेड़ के खतरे को कम करते हुए सुरक्षित रूप से जल गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।