भारत के 5 ऐसे अनोखे गांव जहां प्रकृति की सुंदरता मन मोह ले

भारत में ऐसे बहुत से छोटे-छोटे गांव है जहां की सुंदरता, कल्चर, और रिचुअल्स विशेष होते हैं जो शायद आपने इससे पहले कभी ना देखे हो। इनमें से कई गांव तो ऐसे हैं जो अपनी सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं पर पर्यटकों को उनके बारे में पता नहीं है इसलिए यह गांव अभी तक मुख्य पर्यटन स्थलों की सूची में आते नहीं है पर इसका मतलब यह नहीं कि यहां आपको अलग अनुभव ना मिल पाए।

इन अनदेखे गाँवों में एक विशेष आकर्षण होता है, जहाँ प्रकृति के साथ-साथ यहाँ के लोगों की सरल जीवनशैली और परंपराएं ट्रैवलर्स को एक विशेष अनुभव प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, मेघालय के मावलिननोंग गाँव को एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव कहा जाता है।

आज हम ऐसे ही 5 अनदेखे गांवों के बारे में जानेंगे जिनकी कहानियाँ, संस्कृति, और प्राकृतिक सौंदर्य न केवल भारत के अतीत से जुड़ी हुई हैं, बल्कि इन्हें आज के व्यस्त जीवन से अलग और शांति का अनुभव पाने के लिए भी परफेक्ट माना जाता है।

पूवर केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित एक छोटा सा लेकिन बेहद खूबसूरत गाँव है। यह जगह समुद्र, नदी, और झीलों के अनोखे संगम जो इसे एक परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो भीड़-भाड़ से दूर सुकून भरे पल बिताना चाहते हैं।

गोल्डन सैंड बीच: पूवर का समुद्र तट अपने सुनहरे रेत के लिए जाना जाता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद सुंदर दिखाई देता है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

बैकवॉटर्स: पूवर में बैकवॉटर्स की सैर बेहद लोकप्रिय है। नाव की सवारी करते हुए नारियल के पेड़ों से घिरे इस शांत पानी में घूमना बेहद सुकून भरा होता है।

पारंपरिक नाव की सवारी: यहां आप पारंपरिक केरलियन बोट्स (कठ्टीवाला) में सवारी कर सकते हैं, जो गाँव की सुंदरता और पानी के आसपास के अद्भुत दृश्य दिखाते हैं।

पोझीक्करा बीच: पूवर के पास स्थित यह समुद्र तट भी एक आकर्षण है, जहाँ प्रकृति की खूबसूरती के साथ-साथ शांति का अनुभव किया जा सकता है।

बात करें अगर पूवर में करने लायक मजेदार गतिविधियों की तो उनमें शामिल है बैकवाटर(शांत पानी) में बोट क्रूज, फिशिंग, स्पा और आयुर्वेदिक मसाज और तो और आप लोकल सी फूड का मजा ले सकते हैं। पूवर की यात्रा आपको केरल की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ केरल की संस्कृति और जीवनशैली से भी परिचित कराएगी।

मावलिननोंग मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है, जिसे “एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव” कहा जाता है। मावलिननोंग के लोग गाँव की सफाई को लेकर बहुत सजग हैं। इस गाँव की हर गली, सड़क और घर साफ-सुथरे रहते हैं, और यहाँ कूड़ा फेंकने के लिए बाँस के डस्टबिन जगह-जगह लगाए गए हैं।

प्राकृतिक सुंदरता: हरा-भरा वातावरण, फूलों से सजे घर और साफ सड़कें इस गाँव को बेहद आकर्षक बनाती हैं। यहाँ से आप आसपास की पहाड़ियों और घाटियों का शानदार नज़ारा देख सकते हैं।

लिविंग रूट ब्रिज: मावलिननोंग में प्राकृतिक रूप से बने पेड़ की जड़ों के पुल हैं, जिन्हें लिविंग रूट ब्रिज कहा जाता है। ये पुल फिकस इलास्टिका पेड़ की जड़ों से बने होते हैं और ये अनोखे पुल देखने में विशेष लगते हैं।

सफाई और पर्यावरण: मावलिननोंग के लोग पर्यावरण के प्रति बहुत सजग हैं। यहाँ प्लास्टिक का इस्तेमाल न के बराबर होता है।

बात करें अगर कुछ मजेदार गतिविधियों की जो आप यहां कर सकते हैं तो उनमें शामिल है, लिविंग रूट ब्रिज पर वॉक करना, गांव के आसपास वाले सुंदर झरनों का आनंद लेना, लोकल फूड का आनंद लेना, गांव में स्थित बैलेंसिंग रॉक को देखना आदि। इस गाँव में जाकर आप खासी जनजाति के लोगों की जीवनशैली, परंपराओं और संस्कृति को करीब से देख सकते हैं।

चिटकुल हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बसा हुआ एक छोटा सा गाँव है, जो भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित है। इसे भारत का “आखिरी गाँव” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके आगे कोई भी नागरिक क्षेत्र नहीं है। यह गाँव बास्पा नदी के किनारे स्थित है और चारों ओर से बर्फीली पहाड़ियों, हरे-भरे घास के मैदानों और सेब के बागानों से घिरा हुआ है।

बास्पा नदी: यह नदी चिटकुल के प्राकृतिक सौंदर्य को और भी निखारती है। नदी का ठंडा और साफ पानी, आसपास की बर्फीली पहाड़ियाँ और हरे-भरे पेड़ इस जगह को बहुत ही मनमोहक बनाते हैं।

पहाड़ों के अद्भुत नज़ारे: चिटकुल की ऊंचाई से दिखने वाले पहाड़ों के नज़ारे बहुत ही सुंदर होते हैं, खासकर जब वे बर्फ से ढके रहते हैं। यहाँ की सुंदरता हर मौसम में अलग ही दिखाई देती है।

किन्नौरी संस्कृति: चिटकुल गाँव किन्नौरी जनजाति की परंपराओं, रीति-रिवाजों और जीवनशैली को दर्शाता है। यहाँ के लोग बेहद सरल और मेहमाननवाज होते हैं, और उनकी संस्कृति अनोखी और रंगीन है।

सेब और अखरोट के बागान: चिटकुल के आसपास सेब और अखरोट के कई बागान हैं, जहाँ से आप ताजे सेब का आनंद ले सकते हैं।

बसपा नदी के किनारे पिकनिक करना, स्थानीय मंदिरों का भ्रमण करना, फोटोग्राफी और पेंटिंग करना, चिटकुल से ट्रेकिंग करते हुए आसपास के जंगलों और पहाड़ियों की सैर करना यहां की कुछ मजेदार गतिविधियों में शामिल है। चिटकुल की यात्रा आपको हिमालय की अद्भुत सुंदरता और किन्नौर की संस्कृति से रूबरू कराएगी।

माणा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और खूबसूरत गाँव है, जिसे “भारत का आखिरी गाँव” कहा जाता है। यह गाँव भारत-तिब्बत सीमा के पास, बद्रीनाथ से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यह चारों ओर से बर्फीली चोटियों से घिरा हुआ है। यह अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक कथाओं, और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

पौराणिक इतिहास: माणा का नाम महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि पांडव स्वर्गारोहण के लिए यहीं से हिमालय की ओर गए थे। यहाँ कई प्राचीन स्थल हैं जो महाभारत की कहानियों से जुड़े हैं।

प्राकृतिक सुंदरता: माणा का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही सुंदर है। यहाँ की बर्फीली पहाड़ियाँ, हरे-भरे घास के मैदान, और साफ हवा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

भीम पुल: माणा गाँव में स्थित भीम पुल एक प्रसिद्ध स्थल है। कहा जाता है कि इस पत्थर के पुल को भीम ने द्रौपदी के लिए बनाया था ताकि वह सरस्वती नदी को पार कर सकें।

सरस्वती नदी: माणा में सरस्वती नदी का उद्गम स्थल भी है, जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं में पवित्र माना गया है। यह नदी यहाँ से बहती हुई अलकनंदा नदी में मिल जाती है।

भीम पुल और सरस्वती नदी देखना, गणेश गुफा और व्यास गुफा का दर्शन, यहाँ के ऊनी कपड़े, शॉल और टोपी खरीदना और माणा से कई ट्रेकिंग रूट्स शुरू होते हैं, जैसे वसुधारा वॉटरफॉल ट्रेक, जो माणा से लगभग 5 किमी की दूरी पर है ये सारे अनुभव आपको मिल सकते हैं।

कसोल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है, जो पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ है। इसे “मिनी इज़राइल” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ हर साल बड़ी संख्या में इज़राइली पर्यटक आते हैं। यहाँ के कैफे, पहाड़ों के अद्भुत नज़ारे, और विदेशी संस्कृति का संगम इसे युवाओं और बैकपैकर्स के बीच बहुत लोकप्रिय बनाता है।

ट्रेकिंग और एडवेंचर: कसोल ट्रेकिंग और एडवेंचर गतिविधियों के लिए मशहूर है। यहाँ से आप खीरगंगा, तोश, और मलाना जैसी जगहों के लिए ट्रेक कर सकते हैं।

ट्रेकिंग, कैंपिंग, और नेचर वॉक जैसी गतिविधियाँ कसोल में काफी लोकप्रिय हैं, जो इसे एडवेंचर प्रेमियों के लिए आदर्श जगह बनाते हैं।

कैम्पिंग का आनंद: कसोल में कैम्पिंग करना एक यादगार अनुभव होता है। पार्वती नदी के किनारे और पहाड़ियों के बीच कैम्पिंग का मज़ा अद्भुत होता है।

प्रकृति के करीब: कसोल का शांत वातावरण और हरे-भरे जंगल आपको प्रकृति के करीब ले जाते हैं। यह जगह भीड़-भाड़ से दूर सुकून का अनुभव कराती है।

पार्वती नदी के किनारे टहलना, कसोल के कैफे में जाकर इज़राइली खाने का आनंद लें, कल की स्थानीय दुकानों से लोकल शॉपिंग करना। नदी के किनारे कैम्पिंग का आनंद लें, जो आपको प्रकृति के और भी करीब ले जाएगा।

कसोल की यात्रा आपको प्रकृति, शांति, और एक अलग संस्कृति का अनुभव कराएगी। यह जगह युवाओं, बैकपैकर्स, और उन सभी लोगों के लिए एकदम सही है जो एडवेंचर, सुंदरता, और सुकून की तलाश में हैं।

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